5 छात्र नेता जो भारत के टॉप राजनेता बने
अभी हाल में ही देश की राजधानी दिल्ली में जेएनयू और डीयू में छात्र संघ का चुनाव संपन्न हुआ हैं .
पिछले कुछ वर्षों से भारत के राजनीति में कोई ऐसा दिग्गज राजनेता उभर कर नहीं आया हैं . जिसने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की हो .
वैसे तो भारतीय सिनेमा और भारतीय राजनीति में वंशवाद की परंपरा बहुत पुराना हैं . लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं इन दोनों जगहों जो इस परंपरा से नहीं आते और अपना एक अलग मुकाम बनाया हैं .
भारतीय सिनेमा की हम कभी और बात कर लेंगे . अभी चुनावों के मौसम को देखते हुए हम अभी वैसे राजनेताओ के बारे में बात में करेंगे जिन्होंने कॉलेज के राजनीति से ले कर इस देश के राजनीति तक पर राज किया हैं .
1. लालू प्रसाद यादव

पटना यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई करते हुए पटना यूनिवर्सिटी स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बने.
1973 में फिर छात्र संघ चुनाव लड़ने के लिए पटना लॉ कॉलेज में दाखिला लिया, और जीते. फिर जेपी आंदोलन से जुड़े और इमरजेंसी के दौरान जेल में भी बंद हुए .
1977 में जनता पार्टी के टिकट पर लोक सभा चुनाव जीते. 29 साल के लालू यादव उस समय के सबसे युवा सांसदों में से एक थे .
1990-97 के बीच लालू बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लालू यादव यूपीए सरकार में 2004-09 तक रेल मंत्री भी बने . फ़िलहाल वो राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
2. ममता बनर्जी

1970 में कोलकाता में कांग्रेस के छात्र संगठन, ‘छात्र परिषद’, के साथ जुड़ीं और तेज़-तर्रार महिला नेता के तौर पर उभरीं.
आपातकाल और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में जादवपुर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ीं और दिग्गज वाम नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में ‘पश्चिम बंगाल यूथ कांग्रेस’ की अध्यक्ष और फिर नरसिंह राव की सरकार में मानव-संसाधन मंत्री बनीं.
1997 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी, ‘ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस’ बनाई और 14 साल बाद, 2011 में पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनीं.
3. अजय माकन

1985 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष बने. 2004 में पहली बार लोकसभा में चुने गए और फिर आवास और शहरी विकास मंत्री, खेल मंत्री और गृह राज्य मंत्री रहे.
साल 2015 में दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस की अध्यक्षता की, पर एक भी सीट नहीं जीत पाए. अब वो दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.
4. नीतीश कुमार

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए छात्र नेता के तौर पर उभरे. बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बने.
फिर जेपी आंदोलन में जुड़े और युवाओं की ‘छात्र संघर्ष समिति’ में अहम भूमिका निभाई. 1975-77 के बीच आपातकाल के चलते जेल जाना पड़ा.
1985 में लोक दल से विधायक चुने गए और 1989 के बाद छह बार लोकसभा की सीट जीती. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेल मंत्रालय भी संभाला.
नीतीश कुमार फ़िलहाल बिहार के मुख्यमंत्री हैं .
5. सुषमा स्वराज

1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ हरियाणा में राजनीतिक करियर की शुरुआत की.
पेशे से व़कील, 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा में मंत्री बनी.
1990 में वे पहली बार राज्य सभा सदस्य बनीं. उन्होंने 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोक सभा सीट जीती.
उसके बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री, केंद्र में सूचना-प्रसारण मंत्री, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, लोक सभा में विपक्ष की नेता और अब मौजूदा सरकार में विदेश मंत्री हैं.
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